Lyric Ishtehaar Rahat Fateh Ali Khan
इधर जाऊँ, उधर जाऊँ
कश्मकश में हूँ मैं, किधर जाऊँ
मुझको बता दे मेरे मौला
ख़त्म गर हो गया सफर, जाऊँ
दिल में चुभने लगा है खार कोई
पड़ गई है कहीं दरार कोई
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई
दिल में चुभने लगा है खार कोई
पड़ गई है कहीं दरार कोई
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई
कौन समझेगा रोक रखा है
मैंने पलकों पे अबशार कोई
छोड़ जाने दे कर के गुज़रा है
मेरे ख़्वाबों को तार तार कोई
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई
चाहता हूँ मैं पर नहीं रहती
मुझको मेरी खबर नहीं रहती
मैं हूँ ऐसे की जश्न से पहले
टूट जाता है जैसे हार कोई
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई
दिल में चुभने लगा है खार कोई
पड़ गई है कहीं दरार कोई
मुझको पढ़कर वो ऐसे भूल गया
जैसे कागज़ पे इश्तेहार कोई
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